Sunday 2 June 2013

तो धर्म होता क्या है ?

धर्म
चोला पहनने
की चीज नही होता..
धर्म
देखने कुतर्क
करने की भी चीज नही होता
धर्म
दोषारोपण की भी चीज नही होता
धर्म
गुँगा-बहरा भी नही होता
धर्म
का कोई ठेकेदार की भी नही होता
धर्म
किसी क्षेत्र विषेश मेँ भी नही होता
तो धर्म होता क्या है ?
हमारी समझ से तो
जो धारण किया जा सके वही
धर्म
होता है
जो जीवन जीने की कला सिखाऐ वही
धर्म
होता है
जो मानव के अन्तस मेँ
प्रेम-शाँति,
सेवा-सदभाव,
समर्पण-विश्वास,
आनन्द-उल्लास
को जागृत कर दे जिससे कि
मूक्ति का मार्ग प्रशस्त हो
वही
धर्म
होता है
जो सार्वभौमिक हो वही
धर्म
होता है
जो बन्धन मुक्त हो वही
धर्म
होता है
जो अपरिमेय हो
वही
धर्म
होता है

-नीरज

Basu Bhattacharya's 'Teesri Kasam' 1966