राजा आज चारणों के बोल का अनुसरण कर रहा है
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देश बदल रहा है - आगे बढ़ रहा है
बदलना ही प्रकृति का नियम है
राजा आज चारणों के बोल का अनुसरण कर रहा है
कोई खाने से मर रहा है-कोई खाने बिना मर रहा है
किसान आज भी आत्म हत्या कर रहा है
अमीर सब्सिडी छोड़ रहा है
गरीब और गरीबी जोड़ रहा है
पोखर, तालाब, झील, बाग सब बदल रहा है
प्रकृति के कब्जे से ऐ सब बेदखल हो रहा है
इनकी जगह गगनचूँबी इमारतों का विकास हो रहा है
माननीयों,नौकरशाहों और दुराचारीगणों का तिकड़म बन रहा है
आदमी जाति और धर्म के नाम पर लूट-पीट रहा है
लूटवाद के लिऐ नया नया मंच बन रहा है
वंशवाद चहूँओर फलफूल रहा है
क्योंकि
देश बदल रहा है - आगे बढ़ रहा है
-आचार्य नीरज
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देश बदल रहा है - आगे बढ़ रहा है
बदलना ही प्रकृति का नियम है
राजा आज चारणों के बोल का अनुसरण कर रहा है
कोई खाने से मर रहा है-कोई खाने बिना मर रहा है
किसान आज भी आत्म हत्या कर रहा है
अमीर सब्सिडी छोड़ रहा है
गरीब और गरीबी जोड़ रहा है
पोखर, तालाब, झील, बाग सब बदल रहा है
प्रकृति के कब्जे से ऐ सब बेदखल हो रहा है
इनकी जगह गगनचूँबी इमारतों का विकास हो रहा है
माननीयों,नौकरशाहों और दुराचारीगणों का तिकड़म बन रहा है
आदमी जाति और धर्म के नाम पर लूट-पीट रहा है
लूटवाद के लिऐ नया नया मंच बन रहा है
वंशवाद चहूँओर फलफूल रहा है
क्योंकि
देश बदल रहा है - आगे बढ़ रहा है
-आचार्य नीरज