Saturday 3 August 2013

.लोहिया जेपी भले न बुझ पाये हो.

का कह रहे है
तनिको सोचते नही है का..
अरे भाई जेपी लोहीया कौवनो राजा थे क्या?
 जवन चाचा है  असली गुड़ से बने हूए चिन्नी है..
ऊपरा जा के जबाब भी तो देना पड़ेगा कि
हमने अपका झण्डा पतँगा औरौ किसी को नही दिया
अपने लड़ीकवे को दिया है
दूसरे को देने मेँ खतरा जना रहा था
अरे भाई अपना खुन है
पूरा गारन्टी है भाई
अउर समय के साथ परिभाषा भी तो बदलत है
चाहे
समाजवाद हो
कमुनिजम हो
पूँजीवाद हो
लूटवाद
या फिर
वँशवाद
फिर चाचा का भी तो मन है
इज्जत है
अरे भाई माननीय है
और लोग बड़ी हवेली मेँ इनको शुद्र दृष्टि से देखे इहे चाहते है आप!
हम सब बुझ रहे है
.लोहिया जेपी भले  बुझ पाये हो.

माननीयोँ के लूटतँत्र मेँ सहयोगी टकसाली सिक्के


माननीयोँ के लूटतँत्र मेँ सहयोगी टकसाली सिक्के
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इस देश मेँ टकसाली सिक्के बनाने के लिऐ अखिल भारतीय स्तर पर प्रतीयोगी परीक्षाऐँ आयोजित की जाती है

 जिन अभ्यर्थीयोँ को इस देश के लूटतँत्र मेँ बेखौफ सम्मिलित होने की चाह होती है वे अपना भाग्य यही आजमाते है
 क्योकी एक बार सफलता मिल गई फिर तो कोई जबाबदेही नही होती है
माननीय बनने के लिऐ तो फिर भी बड़ी पापड़ बेलनी पड़ती है वो 65 वर्षीय लोकतँन्त्र के माननीय पुत्रोँ पुत्रवधुओँ के सामने
कई तरह के गिरगिटीऐ रँग बदलने होते है तब कही जाकर जनता लूट के लिऐ अधिकार देती है

और यहाँ तो सिधे सिधे बस एक बार परीक्षा पास तो पास लूट अपने और माननीयोँ को भी शामिल करो
उपर से सुपरलेटिव डिग्री के बिमारीयुक्त होने का तगमा
 

Sunday 2 June 2013

तो धर्म होता क्या है ?

धर्म
चोला पहनने
की चीज नही होता..
धर्म
देखने कुतर्क
करने की भी चीज नही होता
धर्म
दोषारोपण की भी चीज नही होता
धर्म
गुँगा-बहरा भी नही होता
धर्म
का कोई ठेकेदार की भी नही होता
धर्म
किसी क्षेत्र विषेश मेँ भी नही होता
तो धर्म होता क्या है ?
हमारी समझ से तो
जो धारण किया जा सके वही
धर्म
होता है
जो जीवन जीने की कला सिखाऐ वही
धर्म
होता है
जो मानव के अन्तस मेँ
प्रेम-शाँति,
सेवा-सदभाव,
समर्पण-विश्वास,
आनन्द-उल्लास
को जागृत कर दे जिससे कि
मूक्ति का मार्ग प्रशस्त हो
वही
धर्म
होता है
जो सार्वभौमिक हो वही
धर्म
होता है
जो बन्धन मुक्त हो वही
धर्म
होता है
जो अपरिमेय हो
वही
धर्म
होता है

-नीरज

Basu Bhattacharya's 'Teesri Kasam' 1966

Friday 5 April 2013

दो कौड़ी का...??


दो कौड़ी का...??
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भारत मेँ पिछले 65 वर्षो मेँ सिर्फ एक ही चीज ऐसा है
जिसपर महँगाई का कोई असर नही हुआ है
और वो है


देश का नेता


वो कल भी दो कौड़ी का था
और
आज भी दो कौड़ी का ही है।

-नीरज

Wednesday 27 March 2013

रंग दूँ वसँती अपने मन को तो होली है


रंग दूँ वसँती अपने मन को तो होली है
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तेरे रंग मेँ अपने मन को रंग पाऊँ तो होली है
तेरे खातिर तन मन अर्पित कर पाऊँ तो होली है
राग,द्वेष,अहँकार को छोड़ तुम्हे समर्पित कर पाऊँ तो होली है
पतझड़ और वसँत सरिखे जीवन के इस धूप छाँव मेँ मुस्काते
तेरे सँग सँग चल पाऊँ तो होली है
वीर भगत सिँह के जैसे रंग के वसंती अपने मन को मातृभूमि पर मर मिट पाऊँ तो होली है

नीरज