हाँ हमको भी पसन्द है
आजादी
और
तुम भी देना ही चाहते हो हमेँ
आजादी
तो जीने दो हमेँ हमारे अपने सपनोँ के सँग
जहा हो मेरा अपना आसमाँ
जहाँ उड़ सकूँ मै अपने पँख फैला
परन्तु
उससे पहले तुम्हे मूझे मुक्ति देना होगा
कि मै एक बेटी हूँ
कि मै एक पत्नी हूँ
कि मै एक माँ हूँ
इस पहचान से
आचार्य नीरज
No comments:
Post a Comment