भय के कारण उत्पन्न सम्मान स्थाई नही होता है
उलटे ही भयभीत हुए के मन मेँ विद्रोह व बदले की भावना को जन्म देता है
जैसे ही भय का माहौल समाप्त होता है सम्मान खत्म हो जाता है
श्रद्धा व सेवा
से उत्पन्न सम्मान स्थाई होता है
ये मन मेँ
प्रेम व करुणा को जन्म देती है
यही सर्वथा सत्य है
शेष कहने को तो कुछ भी कहा जा सकता है
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