Tuesday 26 March 2013

प्रेम को शब्दोँ मेँ नही बाँधा जा सकता है


प्रेम नाम तौल की चीज नही होता
प्रेम समर्पण होता है
प्रेम अपने को दूसरे मेँ विलीन कर देना होता है
प्रेम को शब्दोँ मेँ नही बाँधा जा सकता है
जब भी कोई पुछता है कि तुम मुछे कितना प्यार करते हो
तो समझ लेना चाहिए कि प्रेम नही है प्रेमी का चादर ओढ़े कोई सौदागर है
जहाँ सौदा है
वहाँ नाप तौल तो होना ही है
प्रेम मेँ नाप तौल का मतलब है डर
शोषण
पुरुष स्त्री से डरा हुआ है
स्त्री पुरुष से डरी है
दोनो देखना चाहते है
जनना चाहते है
कि कहीँ दूसरा हमारा शोषण तो नही कर लिया
इसीलिऐ बार बार पुछ रहा/रही है
कि कितना प्यार करते हो बताओ
बवाला मच जाता है
सिर्फ प्रेमीओँ की बात नहीँ है
पति पत्नियोँ के बीच भी ऐसे सवाल अक्सर होते हैँ
कारण साफ है कि एक दूसरे का कितना शोषण कर लेँ
कितना कम देना पड़े और
अधिक से अधिक मिल जाय
तो भाई यह प्रेम बाजार का है व्यवसाय का है
हमनेँ देखा तो नही कहानी सुनी है कहते है
कैश(मजनुँ) की पिटाई हुई स्कूल के कक्षा मे तो लैला के हाथ पर निशान उभर आया था
कैश ने तो लैला से कभी नही पुछा कि कितना प्यार करती हो
राधा ने कृष्ण जी से तो कभी नही पुछा
फिर क्यो पुछ रहे हो
मतलब प्रेम नही है


आचार्य नीरज

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